Thursday, December 24, 2009

मातृभूमि के लिए आप भी कुछ कीजिये


जितनी बार तुलसी ने याद किया होगा राम को


उससे अधिक बार मैंने तुमको याद किया है


तुम्हारे भरोसे आज़ादी की ५१वी जएंती पर


सुभाष चंद्र बोस के परिवर्तन चौक पर


मैंने ताल ठोंक कर कहा था


मैं आमपंथी हूँ


आज भी मेरी घोषणा पर


लोग हंसते हैं


उन्हें लगता है


दुनिया में दो ही विचारधाराएँ हैं


दछिन पंथ और वाम पंथ


जो हंसते हैं


उन्हें लगता है,


लोहिया विचारधारा नहीं थे


दीदयाल उपाध्याय नेता नहीं थे


ओशो दार्शनिक नहीं थे


अयोध्या, काशी और चित्रकूट में लोग ईश्वर को तलाशते हैं


जबकि मैंने तुमको पाया है


तुम्हारे राम


महात्मा गाँधी के राम से बड़े थे


तुम्हारी भारतमाता


वीर सावरकर के हिंदुत्व से ज्यादा पूज्यनीय हैं


तुम्हारा धर्म


महात्मा बुध के बाद का सन्मार्ग है


तुम्हारी राजनीति


कांग्रेस के आगे का राजपथ है


जब कभी मस्जिद की अजान सुनकर


कोई हिंदू सर झुकाता है


तो वह तुम्हारा समाजवादी लगता है


जब अयोध्या के हनुमान मन्दिर में


कोई मुसलमान घंटा बजाता है


तो वह तुम्हारा रामायण मेला लगता है


मेरे लोहिया,


२१वी सदी की राजनीति से तुम्हारा नाम गायब है


लेकिन बहुत दुखी नहीं हूँ मैं


क्योंकि महात्मा गाँधी, आंबेडकर, जयप्रकाश नारायण और पेरियार भी नहीं हैं सीन में


१०० साल पहले महात्मा गाँधी ने अछूत को गले लगाया था


हजारों लोगों की आँखों में आंसू आ गए थे


लांखो लोग भड़क गए थे


१०० दिन पहले राहुल गाँधी एक दलित के घर सो गए


अखबार रंग गए


टेलीविज़न चिल्लाने लगा


लेकिन, न किसी की आँखों में आंसू आए


न किसी की भृकुटी तनी।


अरे नहीं


सर्द नहीं हुआ है भारतियों का खून


प्यार भी कम नहीं हुआ है वफादारी की तरह


केवल भरोसा उठ गया है राजनीति पर से


मेरे लोहिया,


लाखों बच्चे २००९ में भी एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति मानते हैं


करोड़ों युवा ऐ आर रहमान के साथ वंदे मातरम गीत गाते हैं


आज सुबह जब देख रहा था


अपने प्रिय राफेल नडाल को टेनिस में हारते हुए


जयपुर से एक मित्र शांतनु शर्मा का एसएम्एस आया-


चंद्र शेखर आजाद, महात्मा गाँधी और सुभाष आदि ने


अपनी कुर्बानी देकर हमारी मातृभूमि को आजाद कराया


सो, वंदे मातरम बोलने से पहले सोचिये


हमने क्या किया है मातृभूमि के लिए


आज़ादी की ६३वी जएंती पर जरूर संकल्प लीजिये


मातृभूमि के लिए आप भी कुछ कीजिये


कैसा अजीब है सुबह का यह समय


सारा देश आज़ादी की जश्न मना रहा है


मनमोहन सिंह लालकिला से भाषण दे रहे हैं


उनकी पार्टी के लोगों के अलावा मुकेश अम्बानी ताली बजा रहे हैं


बच्चे दिमागी बुखार से मर रहे हैं


बड़े विदेशी फ्लू से डर रहे हैं


थाली से दाल गायब है


धान के खेत पानी के लिए तरस रहे हैं


आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्र मारे जा रहे हैं


चाइना के चिन्तक


भारत को टुकडो में बांटने का मंसूबा बाँध रहे हैं


और


मैं भावुक मन से १५ अगस्त ०९ के दिन


तुमको याद कर रहा हूँ


-रोशन प्रेमयोगी

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