Wednesday, November 18, 2009

मेरे सपनों का भारत


मेरे सपनों का भारत
सभी देखते हैं सपने
मै भी देखता हूँ सपने
ढेर सारे रुपये
कई फॉर्म हाउस और मोटर गाड़ियाँ
लेकिन देश को भूल नही पाता एक पल भी
शोषित पीड़ित लोग
स्कूल जाने से वंचित बच्चे
गोद में बच्चे खिलाती बच्चियां जब दिख जाती हैं
अपनी खुशी भूल जाता हूँ
भूल जाता हूँ की मैं सम्पन्नता की मध्य धारा में हूँ
लगता है मैं मुग़ल काल में हूँ
और स्वतंत्र भारत के सपने देख रहा हूँ
-रोशन प्रेमयोगी