Friday, January 25, 2013

इस गणतंत्र पर मेरे देश

इस गणतंत्र पर मेरे देश,


महिलाओं को सम्मान देना

बच्चों को स्कूल भेजना

गरीबों को न्याय और रोटी देना

युवाओं को सब्र और संस्कार देना

सरकार को संवेदना देना

अफसरों को इंसान बनाना

नेताओं को सद्बुद्धि देना

किसान को खाद और पानी देना.



इस गणतंत्र पर मेरे देश,

फूलों को महकने देना

चिड़ियों को चहकने देना

घरों को रोशनी देना

अरबपतियों को दिल देना

बच्चियों का ब्याह रोकना

अपराधियों को सलीब देना

कंगालों को नसीब देना



इस गणतंत्र पर मेरे देश,

रचनाकारों को सम्मान देना

दलालों को अपमान देना

बहुमंजिली इमारतों को धूप देना

प्यासों को कूप देना

मुस्कराहटों को रंग देना

पुलिसिया आहटों को ढंग देना

प्रेम को झूले देना

ग्रामीणों को चूल्हे देना



इस गणतंत्र पर मेरे देश,

आँखों को काजल देना

पहाड़ों को बादल देना

वीर शहीदों को ठौर देना

देश की सीमाओं को शांति देना

भीड़ को क्रांति देना

-रोशन प्रेमयोगी

Thursday, January 3, 2013

सेल्यूलाइड की कठपुतलियाँ हैं हम सब



नाचते हैं मन करने पर

गाते हैं बाथरूम में

दिल्ली में युवाओं का प्रदर्शन

अन्ना हजारे का आन्दोलन

कश्मीर की धूप

वाराणसी के सांड का कोई भरोसा नहीं

हमारे आन्दोलन से सरकार नहीं हिलती

राजनेता नहीं कांपते

... समाज नहीं बदलता

मेरा नया साल उदास है

बीते साल राम मनोहर लोहिया से

उनके पसंदीदा नेता के बारे में पूछा,

उन्होंने राजीव गांधी का नाम लिया

आश्चर्य हुआ लेकिन संतोष भी

प. नेहरू की लुटिया डुबोने वाले लोहिया

राजीव गाँधी को दुलारते हैं बीते साल में

मोमबत्ती जलने वाले पीटे जाते हैं नए साल में

उन्ही कांग्रेसी नेताओं के हाथों से, बातों से

जिसके महात्मा गाँधी प्रणेता थे.

देश की बड़ी खबर है कैश सब्सिडी नए साल पर

भ्रूण ह्त्या, लुटे किसान, अन्न विहीन रसोईघर, पानी विहीन नहरे,

किसे बताऊँ मन दुखी है देश के हालात से

जब हर दिल में दर्द है

पर इस दर्द का क्या जब दर्द मोमबत्ती जलने तक दिखता है

एक हाथ जमीन जो मेरी है, के लिए

मेरे पिता सात साल से लड़ रहे हैं

बेटी पर अत्याचार हुआ तो मुन्नर काका कोर्ट नहीं

पुलिस में भी नहीं गए

बेटी को ससुराल भेज कर खुद मुंबई चले गए

मेरे पड़ोस के विलासपुरी राजगीर के पांच बच्चे

नहीं जाने को पाते स्कूल

कर्ज न चुका पाने पर बाराबंकी के मंशाराम ने

कर ली आत्महत्या...

हालात जस के तस

आज़ादी की रौनक फीकी

मन उदास तन बेचैन

गले में खराश

जुबान पर जिंदाबाद-मुर्दाबाद लेकर हम क्रांति करने निकले हैं

हम सेल्यूलाइड की कठपुतलियाँ हैं

-रोशन प्रेमयोगी

..आओ गले मिलें



रंग हैं प्यार में

इनकार में

स्वीकार में

रंग हैं फूलों में

नदियों में

वादियों में

रंग हैं दिनों में

रातों में

बातों में

सपनों में

अपनों में

रंग हैं रिश्तों में

फरिश्तों में

रंग हैं

बच्चों की मुठ्ठियों में

माँ की चिठ्ठियों में

प्रेमिका की गिट्टियों में

जन्मस्थान की मिट्टियों में

यह रंग तुममें है

तुम मुझे दो

मुझमें है

तुमको दूंगा

आओ गले मिलें

नए साल का स्वागत करें

-रोशन प्रेमयोगी