'क्योंकि मैं लोहिया हूँ'
"मैंने महात्मा गाँधी के महान सपनों का हश्र देख लिया था. इसलिए मेरा
दृष्टिकोण साफ़ था. आज भी मैं यही कहता हूँ, "सोने जैसे विचारों से भगवान्
बुद्ध की मूर्ति तो बनाई जा सकती है, बुद्ध को जन जन तक नहीं पहुँचाया जा
सकता....
"मैंने महात्मा गाँधी के महान सपनों का हश्र देख लिया था. इसलिए मेरा
दृष्टिकोण साफ़ था. आज भी मैं यही कहता हूँ, "सोने जैसे विचारों से भगवान्
बुद्ध की मूर्ति तो बनाई जा सकती है, बुद्ध को जन जन तक नहीं पहुँचाया जा
सकता....
बुद्धत्व को आम आदमी तक पहुचाने के लिए किसी बौद्ध को लंगोट बांधकर
अखाड़े में कूदना होगा. याद रखो, जिस दिन यहाँ के सबसे भ्रष्ट अधिकारी को
हज़रत गंज चौराहे पर उठाकर पटक दोगे, उसके अगले दिन देश के कई हिस्सों
में कई भ्रष्ट अधिकारीयों पर जूते पड़ेंगे."
मेरे जल्द प्रकाशित होने वाले उपन्यास 'क्योंकि मैं लोहिया हूँ' का अंश
-रोशन प्रेमयोगी
अखाड़े में कूदना होगा. याद रखो, जिस दिन यहाँ के सबसे भ्रष्ट अधिकारी को
हज़रत गंज चौराहे पर उठाकर पटक दोगे, उसके अगले दिन देश के कई हिस्सों
में कई भ्रष्ट अधिकारीयों पर जूते पड़ेंगे."
मेरे जल्द प्रकाशित होने वाले उपन्यास 'क्योंकि मैं लोहिया हूँ' का अंश
-रोशन प्रेमयोगी