मेरे सपनों का भारत
सभी देखते हैं सपने
मै भी देखता हूँ सपने
ढेर सारे रुपये
कई फॉर्म हाउस और मोटर गाड़ियाँ
लेकिन देश को भूल नही पाता एक पल भी
शोषित पीड़ित लोग
स्कूल जाने से वंचित बच्चे
गोद में बच्चे खिलाती बच्चियां जब दिख जाती हैं
अपनी खुशी भूल जाता हूँ
भूल जाता हूँ की मैं सम्पन्नता की मध्य धारा में हूँ
लगता है मैं मुग़ल काल में हूँ
और स्वतंत्र भारत के सपने देख रहा हूँ
-रोशन प्रेमयोगी
mai apni khushi bhul jata hun...........waah
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