मेरे पीछे कौर लेकर दौड़ती थी, बेटा खा ले भूखे बच्चो को डायन पकड़ ले जाती है. सोकर उठता तो बालों से ठन्डे तेल की खुशबु आती, सुबह नहाने से पहले उबटन लगाना वह कभी न भूलती, स्कूल जाता तो देसी घी के लड्डू रस्ते भर बसते से खुशबु विखेरते. नौकरी के लिए घर क्या छुटा, माँ का प्यार छूट गया. जाता हूँ जब पूजा घर में इस नवरात्र में, माँ का साया दिखता है, उसका चेहरा नहीं भूलता, उसके सीने से लगने को मन करता है, माँ से कब बच्चे का मन भरता है. -रोशन प्रेमयोगी
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