Saturday, January 16, 2010

जब भी पाँव उतारोगे नाव से

उदास रातों में मै सपना बनकर आऊंगा

धूप में निकालोगे तो बादल बन जाऊंगा

तुम मुझे कैसे निकाल पाओगे यादों के सागर से

जब भी पाँव उतारोगे नाव से किनारे बांहे फैलाये नज़र आऊंगा

-रोशन प्रेमयोगी

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