मेरे हमदम मेरे दोस्त लोहिया,
हमेशा तुम मेरा मनोबल बढ़ाते हो
तब भी, जब सरकार का भेदभाव निराश करता है
तब भी, जब पुलिस झूठे मुकदमे लिखती है
और जब बच्चियां पेट में मार दी जातीं हैं
राजनीति से लोहिया को बहुत उम्मीद थी
जिसने उनके पिता की कौमी बाल्टी तोड़ दी
खुद लोहिया के सपने धराशाई कर दिए गए
राजनीति के गलियारों में जब लोहिया नाम का शोर होता है
तो मैं कानों पे हथेलियाँ रख लेता हूँ
जिन आंबेडकर को लोहिया अपना हमसफ़र मानते थे
उनको यूपी में राजनीति ने विरोधी बना दिया
जिस लखनऊ में एक लाख मजदूर-किसान
लोहिया के बुलाने पे जुटे थे,
उसमे अब लोहियावाद के जनाजे निकाले जाते हैं
मेरे जिले में लोहिया का नामोनिशान मिट गया
अरे जहाँ लोहिया का जन्म हुआ था
जिस रामायण मेले से
सांस्कृतिक क्रांति की उम्मीद की थी लोहिया ने
उसपर साम्यवाद का भूत सवार हो गया
जिस संसद में रोये थे लोहिया आदिवासियों के लिए
उस संसद में अब करोड़पतियों का बहुमत है
जब यह सब सोचकर थक जाता हूँ
तो लोहिया मेरा मनोबल बढ़ाते हैं
उनके आशावाद का कायल हो जाता हूँ तब
जब वह गरीबों के लिए हाथ फैलाते हैं,
विधानसभा के आगे खड़े होकर
उनकी आवाज़ में तब
मैं भी आवाज मिलाता हूँ
इस उम्मीद में
एक दिन लोकतंत्र में बराबरी आएगी
न्याय सबको मिलेगा
पेट सबका भरेगा
सब बच्चे स्कूल जायेंगे
मजदूर अपने घर के आसपास रोटी कमाएंगे
किसान बुंदेलखंड में भी फसल उगायेंगे
(डॉ राम मनोहर लोहिया को २३ मार्च पर याद करते हुए)
-रोशन प्रेमयोगी
हमेशा तुम मेरा मनोबल बढ़ाते हो
तब भी, जब सरकार का भेदभाव निराश करता है
तब भी, जब पुलिस झूठे मुकदमे लिखती है
और जब बच्चियां पेट में मार दी जातीं हैं
राजनीति से लोहिया को बहुत उम्मीद थी
जिसने उनके पिता की कौमी बाल्टी तोड़ दी
खुद लोहिया के सपने धराशाई कर दिए गए
राजनीति के गलियारों में जब लोहिया नाम का शोर होता है
तो मैं कानों पे हथेलियाँ रख लेता हूँ
जिन आंबेडकर को लोहिया अपना हमसफ़र मानते थे
उनको यूपी में राजनीति ने विरोधी बना दिया
जिस लखनऊ में एक लाख मजदूर-किसान
लोहिया के बुलाने पे जुटे थे,
उसमे अब लोहियावाद के जनाजे निकाले जाते हैं
मेरे जिले में लोहिया का नामोनिशान मिट गया
अरे जहाँ लोहिया का जन्म हुआ था
जिस रामायण मेले से
सांस्कृतिक क्रांति की उम्मीद की थी लोहिया ने
उसपर साम्यवाद का भूत सवार हो गया
जिस संसद में रोये थे लोहिया आदिवासियों के लिए
उस संसद में अब करोड़पतियों का बहुमत है
जब यह सब सोचकर थक जाता हूँ
तो लोहिया मेरा मनोबल बढ़ाते हैं
उनके आशावाद का कायल हो जाता हूँ तब
जब वह गरीबों के लिए हाथ फैलाते हैं,
विधानसभा के आगे खड़े होकर
उनकी आवाज़ में तब
मैं भी आवाज मिलाता हूँ
इस उम्मीद में
एक दिन लोकतंत्र में बराबरी आएगी
न्याय सबको मिलेगा
पेट सबका भरेगा
सब बच्चे स्कूल जायेंगे
मजदूर अपने घर के आसपास रोटी कमाएंगे
किसान बुंदेलखंड में भी फसल उगायेंगे
(डॉ राम मनोहर लोहिया को २३ मार्च पर याद करते हुए)
-रोशन प्रेमयोगी
No comments:
Post a Comment