Wednesday, April 3, 2013
लड़ने जाऊंगा घर की गौरैया पार्टी से
०२ अप्रैल २०१३ को गाँव गया
खाना खाने के लिए बरामदे में बैठा तो गौरैया आ गई
मां ने कहा थोडा सा चावल दे दो
मैंने दे दिया
... गौरैया ने तीन दाने चावल के खाए
फिर आ गई मेरे सामने
आँखों से आँखें मिलीं
निडर गौरैया मेरे और करीब आ गई
मां, इसे देखो डर नहीं रही मुझसे
एक टुकड़ा रोटी दे दो- मां ने कहा
मैंने रोटी का टुकड़ा दे दिया
उसने दो-तीन बार चोंच मारकर रोटी खाई
और फिर मेरे सामने
निडर, देखने लगी मेरी आँखों में
मां, यह फिर आ गई! -मैं चिल्लाया.
भाग रे, मोरे बिटवा को खाना न खाने देगी क्या? मां ने उसे डपटा
उसने मां की ओर देखा, तो
मैंने उसकी ओर देखा
वह पंख फड़फड़ाती हुई छत की सीढ़ी पर गई
मुझे ख़ुशी हुई
मैंने जोर से ताली बजाई,
"हे, डर के भाग गई गौरैया"
अचानक तेजी से वह लौटी
मेरी दाल की कटोरी पर बैठ
उसने चोंच में तीन बार भर-भर कर दाल पीया
अम्मा! मैं बच्चे की तरह जोर से चिल्लाया,
देखो मां, इसकी ढिठाई, मेरी दाल जूठी कर दी
रुक बुरलौनी, अभी बताती हूँ- मां दौड़ती हुई आई
गौरैया फुर्र से उड़ गई
हैंडपंप के ऊपर जा बैठी
घूरने लगी मुझे
कुछ देर बाद अपने साथी के साथ मेरे पास आई
लड़ने के लिए.
मुझे महात्मा गाँधी की अहिंसा याद आई
देखो, मैं तुम लोगों से लड़ना नहीं चाहता
दोस्ती करना है तो बोलो? मैंने कहा
वह दोनों खुश हो गए
उन्होंने जमीन से उठाकर चावल के दाने खाए
रोटी का टुकड़ा कुतरा
फिर मेरे गिलास से पानी पिया
और दोनों उड़ गए छत की ओर
दोपहर में पापा के कमरे में उनसे फिर मुलाकात हुई
खिड़की में उनका घोंसला है
बहन ने बताया उनके तीन बच्चे थे
दो जमीन पर गिरकर मर गए
एक पूरे घर में शोर मचाता है
मां ने बताया घर में गौरैया के तीन घोसले हैं
मुझे बहुत ख़ुशी हुई
मैंने पपीते के पेड़ों सा कहा,
जल्दी बड़े हो जाओ
ताकि बड़े बड़े फल लगे तुम्हारी डालियों में
घर के पीछे स्थित
आम की बाग़ में इस साल बौर नहीं आये हैं
तुम्हारा ही सहारा है
तुम्हारे फलों के लिए मैं लड़ने आऊंगा
घर की गौरैया पार्टी से
-रोशन प्रेमयोगीSee More
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