बेटियां दिल होती हैं समाज की
ख़ुशी होती हैं पिता की
दोस्त होती हैं माँ की
आधार होती हैं परिवार की
बेटियां सुबह होती हैं
सृजन की पहली किरण होती हैं
नदी का किनारा होती हैं
भाई का सहारा होती हैं
बेटियां जंगल की लता होती हैं
रिश्तों का पता होती हैं बेटियां
बेटियां घर की रौनक होती हैं
फूलों की महक होती हैं बेटियां
बेटियां धरम होती हैं
मंदिर की घंटियाँ होती हैं बेटियां
बेटियां रास्ता होती हैं करियर की
पतझड़ की कलियाँ होती हैं बेटियाँ
बेटियां बारूद होती हैं प्रेम की
गाँव की नाक होती हैं बेटियां
बेटियां अन्याय की सविता होती हैं
उत्पीडन की कविता होती हैं बेटियाँ
हिरन की तरह जंगल में जीती-मारती हैं बेटियां
सूरज की पहली किरण की तरह पहाड़ों से डरती हैं बेटियाँ
बेटियाँ अनकहा राज होती हैं
अनसुना इतिहास होती हैं बेटियाँ
-रोशन प्रेमयोगी
No comments:
Post a Comment