चुप रहते थे हमारे बाबूजी
दादाजी की तरह
नेता जी आते थे सिर्फ यह कहने
इस निशान पर मुहर लगाना
मैंने बोलना शुरू किया
सवाल करता हूँ वोट मांगने वालों से
मेरे बाद की पीढ़ी हिसाब मांगेगी
एक-एक योजना का
अपने इनकम टैक्स का
देश जाग रहा है
युआ जाग रहा है
लोकतंत्र जाग रहा है
सोने वाले नेताओं'
तुम भी जाग जाओ
-रोशन प्रेमयोगी
bahut hi badiya sir
ReplyDeletedo check out
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do login and post...takki sabhi ko aapki khoobsurat karigari padne
ka mauka miley ..aur logon ko pata chalee ke aapke jaise kavi abhi tak blogging karte hain!!
सुन्दर रचना..बधाई.
ReplyDeleteसारे युवा जल्दी जागें मेरी तो यही दुआ है.
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