मेरी कविताएं और विचार
उदास रातों में मै सपना बनकर आऊंगा
धूप में निकालोगे तो बादल बन जाऊंगा
तुम मुझे कैसे निकाल पाओगे यादों के सागर से
जब भी पाँव उतारोगे नाव से किनारे बांहे फैलाये नज़र आऊंगा
-रोशन प्रेमयोगी
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कम लफजों में बहुत ही गहरी बात। बधाई।--------थोड़ा अनैतिक ही सही, पर इसके सिवा चारा भी क्या है?खाने पीने के शौकीन हों, तो यहाँ ट्राई जरूर मारें।
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ReplyDeleteकम लफजों में बहुत ही गहरी बात। बधाई।
ReplyDelete--------
थोड़ा अनैतिक ही सही, पर इसके सिवा चारा भी क्या है?
खाने पीने के शौकीन हों, तो यहाँ ट्राई जरूर मारें।