कोई उम्मीद करो ख़ुद से
कोई रास्ता तलाशो ख़ुद से
कोई पतवार गढो ख़ुद से
कोई नाव बनाओ खुद से
कभी गंगा में जाओ ख़ुद से
कभी रेत से नहाओ ख़ुद से
कभी पानी लुटाओ ख़ुद से
कभी डुबकी लगाओ ख़ुद से
तुम्हे भी मंजिल मिल जायेगी
सफलता तुम्हारे भी हाथ आयेगी
न भी आए तो उदास मत हो
एक बार मुस्कुराओ ख़ुद से
अपनी असफलता को स्वीकार करो
एक बार
नयी उम्मीद करो ख़ुद से
कोई पतवार गढो फ़िर से
कोई नाव चलाओ फ़िर से
-रोशन प्रेमयोगी
सुन्दर और सुन्दर और कूछ नही
ReplyDeleteसपनों के भारत के निर्माण के लिए एक रूपरेखा -
ReplyDeletehttp://bhaarat-bhavishya-chintan.blogspot.com
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
very good
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अगर समुदायिक चिट्ठाकारी में रूचि हो तो यहाँ पधारें http://www.janokti.blogspot.com . और पसंद आये तो हमारे समुदायिक चिट्ठे से जुड़ने के लिए मेल करें janokti@gmail.com
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जयराम "विप्लव"
Editor
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